Sawan somwar, om namah sivay in sawan

सावन का महीना, जिसे श्रावण मास भी कहा जाता है, भगवान शिव को समर्पित सबसे पवित्र महीनों में से एक है। यह महीना विशेष रूप से श्रावण सोमवार व्रत और हरियाली अमावस्या, सावन शिवरात्रि, मंगल गौरी व्रत जैसे धार्मिक अनुष्ठानों के लिए प्रसिद्ध है। सावन 2025 में इसकी शुरुआत और समाप्ति की तिथियाँ अलग-अलग राज्यों में भिन्न होंगी, क्योंकि भारत में अलग-अलग पंचांग प्रणाली अपनाई जाती है।

सावन 2025 कब से शुरू होगा?

उत्तर भारत (पूर्णिमांत पंचांग के अनुसार)

उत्तर भारत के राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड, पंजाब, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में सावन 2025 की शुरुआत 11 जुलाई 2025 (शुक्रवार) से होगी और इसका समापन 9 अगस्त 2025 (शनिवार) को होगा।

श्रावण सोमवार व्रत की तिथियाँ:

  • पहला सोमवार व्रत: 14 जुलाई 2025
  • दूसरा सोमवार व्रत: 21 जुलाई 2025
  • तीसरा सोमवार व्रत: 28 जुलाई 2025
  • चौथा सोमवार व्रत: 4 अगस्त 2025

दक्षिण और पश्चिम भारत (अमांत पंचांग के अनुसार)

महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गोवा और तमिलनाडु जैसे राज्यों में अमांत पंचांग का पालन किया जाता है। यहां सावन की शुरुआत 25 जुलाई 2025 को होगी और समाप्ति 23 अगस्त 2025 को होगी।

श्रावण सोमवार व्रत की तिथियाँ:

  • पहला सोमवार व्रत: 28 जुलाई 2025
  • दूसरा सोमवार व्रत: 4 अगस्त 2025
  • तीसरा सोमवार व्रत: 11 अगस्त 2025
  • चौथा सोमवार व्रत: 18 अगस्त 2025

नेपाल और हिमालयी क्षेत्र (सौर पंचांग के अनुसार)

नेपाल, उत्तराखंड और हिमाचल के कुछ हिस्सों में सावन सौर कैलेंडर के अनुसार मनाया जाता है। यहां सावन 16 जुलाई 2025 से 16 अगस्त 2025 तक रहेगा।

श्रावण सोमवार व्रत की तिथियाँ:

  • पहला सोमवार व्रत: 28 जुलाई 2025
  • दूसरा सोमवार व्रत: 4 अगस्त 2025
  • तीसरा सोमवार व्रत: 11 अगस्त 2025
  • चौथा सोमवार व्रत: 18 अगस्त 2025

सावन का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्त्व

सावन का महीना भक्ति, तप और शिव की आराधना का प्रतीक है। मान्यता है कि इस मास में भगवान शिव की पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सुख-शांति आती है। सावन के सोमवार को व्रत रखने से विवाह योग्य कन्याओं को उत्तम वर की प्राप्ति होती है और विवाहित स्त्रियों को सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

इस महीने में श्रद्धालु सोमवार को व्रत, शिवलिंग पर जलाभिषेक, बिल्व पत्र, धतूरा, और दूध अर्पण करते हैं। अनेक लोग सोहळा सोमवार व्रत (Solah Somwar Vrat) भी करते हैं, जिसमें लगातार 16 सोमवार का व्रत रखा जाता है।

सावन में मंगलगौरी व्रत

मंगलवार को मां पार्वती की आराधना की जाती है जिसे मंगल गौरी व्रत कहा जाता है। विवाहित स्त्रियाँ इस व्रत को अपने पति की लंबी उम्र और पारिवारिक सुख-शांति के लिए करती हैं। सावन में यह व्रत विशेष फलदायी माना जाता है।

प्रमुख त्योहार और पर्व

हरियाली तीज – सावन की शुक्ल तृतीया को मनाई जाती है, जिसमें सुहागिनें झूले, गीत और श्रृंगार करती हैं।

सावन शिवरात्रि – मासिक शिवरात्रियों में से एक, सावन में पड़ने वाली यह शिवरात्रि अत्यंत शुभ मानी जाती है।

हरियाली अमावस्या – सावन माह की अमावस्या को मनाई जाती है, जिसमें वृक्षारोपण और पितृ तर्पण का विशेष महत्त्व होता है।

व्रत रखने की विधि

  1. व्रत के दिन प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, अक्षत और चंदन अर्पित करें।
  3. “ॐ नमः शिवाय” का जप करें और शिव चालीसा का पाठ करें।
  4. व्रतधारी दिनभर फलाहार पर रहते हैं और शाम को पूजा के बाद भोजन करते हैं।

सावन 2025 एक विशेष अवसर है भगवान शिव की भक्ति में लीन होने का। चाहे आप उत्तर भारत के पंचांग का पालन करें या दक्षिण भारत के, इस माह का आध्यात्मिक प्रभाव और पुण्यफल सर्वत्र समान है। अगर आप जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, मानसिक शांति और पारिवारिक सुख चाहते हैं, तो इस पावन सावन मास में व्रत एवं शिव पूजन अवश्य करें।

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