बीजापुर (छत्तीसगढ़): छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में एक बार फिर माओवादियों ने कायराना हरकत को अंजाम दिया है। नक्सली हमले की इस ताज़ा घटना में CRPF के दो जवान IED ब्लास्ट में घायल हो गए हैं। यह हमला जिले के आवापल्ली थाना क्षेत्र के तिमापुर-मुरदण्डा मार्ग पर हुआ, जहां जवान नियमित रोड ओपनिंग पेट्रोलिंग ड्यूटी पर थे।
नक्सलियों की पहले से रची साजिश
माओवादियों ने पहले से ही इस रास्ते में IED विस्फोटक सामग्री छिपाकर रखी थी। जैसे ही CRPF की 229वीं बटालियन के जवान गश्त पर निकले, अचानक जोरदार धमाका हुआ जिससे दो जवान गंभीर रूप से घायल हो गए। प्राथमिक उपचार के बाद दोनों को बीजापुर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज जारी है।
बढ़ रही है नक्सलियों की सक्रियता
यह घटना कोई अकेली घटना नहीं है। बीते कुछ दिनों में बीजापुर में नक्सलियों की सक्रियता और हमलों की दर में बढ़ोतरी देखी गई है। कुछ दिन पहले नक्सलियों ने एक यात्रियों से भरी बस को अपने कब्जे में ले लिया था और राष्ट्रीय राजमार्ग-63 पर कई वाहनों को रोककर एक ट्रक में आग लगा दी थी।
इस तरह की हरकतें यह साबित करती हैं कि नक्सली अब भी इस इलाके में आतंक और दहशत फैलाने की मंशा रखते हैं।
माओवादी नेता की मौत से बौखलाए नक्सली
बताया जा रहा है कि इस हमले को माओवादियों ने इंद्रावती टाइगर रिजर्व में हाल ही में हुई एक मुठभेड़ में माओवादी केंद्रीय कमेटी के सदस्य सुधाकर की मौत के बदले के रूप में अंजाम दिया है। सुरक्षा बलों द्वारा की गई यह कार्रवाई माओवादियों के लिए एक बड़ा झटका साबित हुई, और इसी का बदला लेने के लिए उन्होंने सुरक्षाबलों को निशाना बनाया।
सुरक्षा बलों की बढ़ी सतर्कता
घटना के बाद बीजापुर जिले में सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया गया है। सुरक्षा एजेंसियां नक्सलियों की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए हैं और पूरे इलाके को हाई अलर्ट पर रखा गया है। रोड ओपनिंग पार्टी (ROP) की संख्या बढ़ाई गई है और संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त जवानों की तैनाती की गई है।
स्थानीय जनता में डर का माहौल
लगातार हो रही नक्सली घटनाओं से स्थानीय ग्रामीणों में डर का माहौल है। जहां एक ओर सुरक्षा बल नक्सलियों की गतिविधियों को रोकने के लिए दिन-रात जुटे हैं, वहीं दूसरी ओर आम लोगों की सुरक्षा और आवाजाही को भी सुरक्षित बनाना बड़ी चुनौती बन गया है।
कब थमेगा नक्सल हिंसा का सिलसिला?
बीजापुर IED ब्लास्ट एक बार फिर यह दिखाता है कि छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा चुनौतियां अभी भी बरकरार हैं। सवाल यह है कि आखिर कब तक नक्सली इस तरह से निर्दोष जवानों को निशाना बनाते रहेंगे? क्या अब समय नहीं आ गया है कि इन क्षेत्रों में स्थायी समाधान और मजबूत रणनीति के साथ नक्सलवाद को जड़ से खत्म किया जाए?