यमुना के पारिस्थितिक संतुलन को खतरा, रेखा गुप्ता ने अविलंब कार्रवाई की मांग की
नई दिल्ली, 7 जुलाई 2025 — दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक महत्वपूर्ण पत्र लिखकर दिल्ली‑यूपी बॉर्डर के यमुना तटीय इलाकों में चल रहे अवैध रेत खनन पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह अवैध गतिविधि न सिर्फ पर्यावरण के लिए खतरा बन रही है, बल्कि भविष्य में बाढ़, भूमि कटाव और नदी के बहाव में अनियमितता का कारण भी बन सकती है।
यमुना नदी के तटीय क्षेत्रों में हो रहा है विनाश
रेखा गुप्ता ने पत्र में लिखा है कि रेत माफिया द्वारा यमुना के फ्लडप्लेन क्षेत्र में तेजी से अवैध खनन किया जा रहा है, विशेष रूप से दिल्ली और उत्तर प्रदेश की सीमा पर। इससे नदी के प्राकृतिक प्रवाह में बाधा उत्पन्न हो रही है, तटबंध कमजोर हो रहे हैं और इलाके में बाढ़ का जोखिम बढ़ता जा रहा है।
अवैध खनन से प्रभावित क्षेत्रों में नोएडा, बागपत, गाज़ियाबाद और दिल्ली के सीमावर्ती इलाके शामिल हैं। स्थानीय प्रशासन के सीमित संसाधनों के चलते इस पर पूर्ण रूप से रोक लगाना मुश्किल साबित हो रहा है।
पर्यावरणीय और पारिस्थितिकीय खतरे
विशेषज्ञों के अनुसार रेत खनन से नदी का तल गहराता है, जिससे जलस्तर गिरता है और आसपास की भूजल प्रणाली पर भी प्रभाव पड़ता है। साथ ही इससे नदी की जैव विविधता और पारिस्थितिक संतुलन भी बिगड़ता है।
रेखा गुप्ता ने लिखा कि यह संकट केवल दिल्ली या उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक साझा पारिस्थितिकीय विरासत से जुड़ा हुआ मामला है, जिसे बचाने के लिए दोनों राज्यों को मिलकर कार्य करना होगा।
NGT के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) द्वारा पहले ही स्पष्ट किया जा चुका है कि बिना पर्यावरणीय मंज़ूरी और वैज्ञानिक निरीक्षण के रेत खनन को गैरकानूनी माना जाएगा। बावजूद इसके, दिल्ली‑यूपी सीमा पर दर्जनों अवैध खनन स्थल सक्रिय हैं। NGT ने राज्यों को सख्ती से निर्देश दिए हैं कि वे ऐसी गतिविधियों को तत्काल रोकें और दोषियों पर कठोर कार्रवाई करें।
संयुक्त कार्य योजना की मांग
रेखा गुप्ता ने पत्र में प्रस्ताव रखा है कि दोनों राज्यों के संबंधित विभागों और जिला प्रशासन के बीच एक संयुक्त समन्वय समिति बनाई जाए, जो सीमावर्ती इलाकों में निगरानी बढ़ाए, वास्तविक समय में डेटा साझा करे और नियमित संयुक्त निरीक्षण करे।
उनका सुझाव है कि यह समिति हर महीने एक संयुक्त रिपोर्ट तैयार करे जो मुख्यमंत्री स्तर पर समीक्षा हेतु प्रस्तुत की जाए।
टेक्नोलॉजी से निगरानी और नियंत्रण
वर्तमान युग में तकनीक का उपयोग करना बेहद जरूरी है। दिल्ली सरकार ने संकेत दिया है कि ड्रोन सर्विलांस, GPS ट्रैकिंग सिस्टम और सैटेलाइट इमेजरी जैसे उपायों से अवैध खनन की निगरानी की जा सकती है। यूपी सरकार से भी इन उपायों को अपनाने का अनुरोध किया गया है।
स्थानीय समुदाय की भूमिका
रेखा गुप्ता ने पत्र में यह भी कहा है कि स्थानीय ग्रामीण और नदी तटीय बस्तियों के नागरिकों को इस खनन के दीर्घकालिक खतरों से अवगत कराया जाए। एक स्थानीय जन-जागरूकता अभियान चलाकर उन्हें इस मुद्दे से जोड़ा जाए और उन्हें निगरानी प्रक्रिया में भागीदार बनाया जाए।
निष्कर्ष: यमुना बचाने की साझा ज़िम्मेदारी
अवैध रेत खनन केवल एक कानून व्यवस्था की समस्या नहीं है, यह यमुना नदी के अस्तित्व और स्थायित्व से जुड़ा प्रश्न है। दिल्ली और उत्तर प्रदेश सरकारों को मिलकर एक ठोस रणनीति बनानी होगी ताकि भविष्य में यह समस्या और विकराल रूप न ले सके।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का पत्र इस दिशा में एक जरूरी और समयबद्ध पहल है, जिससे उम्मीद की जा रही है कि दोनों राज्यों की सरकारें मिलकर यमुना को बचाने की दिशा में ठोस कदम उठाएंगी।