एक ओर प्रधानमंत्री मोदी को मिला ब्राजील का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान, दूसरी ओर आकाश मिसाइल डील पर लगी ब्रेक — आखिर क्या है इस विरोधाभास की असली वजह?
सम्मान मिला, लेकिन सिस्टम नहीं!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब 57 सालों में पहली बार ब्राजील की राजकीय यात्रा पर पहुंचे, तो उम्मीद की जा रही थी कि यह दौरा इतिहास बनाएगा — और बनाया भी। लेकिन कूटनीति की इस चमक के पीछे एक साया था: ब्राजील ने भारत की आकाश मिसाइल सिस्टम खरीदने से इनकार कर दिया।
इसे संयोग कहें या रणनीति — जिस दिन पीएम मोदी को ब्राजील ने अपने सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार “The Grand Collar of the National Order of the Southern Cross” से नवाजा, उसी दिन सामने आया कि ब्राजील भारत से चल रही Akash Missile System डील को रोक चुका है।
आकाश मिसाइल: जिसने कई देशों को लुभाया, ब्राजील को क्यों नहीं?
DRDO द्वारा विकसित आकाश मिसाइल प्रणाली भारत की सैन्य तकनीक की पहचान बन चुकी है। यह सिस्टम 25 किलोमीटर तक दुश्मन के विमानों और मिसाइलों को ट्रैक और नष्ट करने में सक्षम है। कई देशों ने इसकी तारीफ की है और कुछ ने तो खरीदारी की दिशा में कदम भी बढ़ाए हैं।
तो फिर ब्राजील क्यों पीछे हटा?
वजह सीधी नहीं, रणनीतिक है
सूत्रों की मानें तो ब्राजील की नजर अब इटली की Enhanced Modular Air Defence System (EMADS) पर है। यह एक नाटो-अनुकूल, मॉड्यूलर, और लंबी दूरी तक प्रभावी प्रणाली है — और यही वह तकनीकी-राजनीतिक कॉकटेल है जो ब्राजील को ज्यादा भा गया।
EMADS ना केवल रक्षा में उन्नत माना जा रहा है, बल्कि इटली ने ब्राजील को लोकल प्रोडक्शन और को-डेवलपमेंट का भी प्रस्ताव दिया है — यानी सिर्फ सुरक्षा नहीं, तकनीकी आत्मनिर्भरता भी।
कूटनीति में विरोधाभास: एक तरफ तालियां, दूसरी तरफ ताले
मोदी और लूला की मुलाकात ने दुनिया को ये दिखाने की कोशिश की कि भारत और ब्राजील ग्लोबल साउथ की आवाज़ बन सकते हैं, लेकिन उसी मुलाकात में एक डिफेंस डील का टूटना दिखाता है कि बातें और निर्णय एक जैसे नहीं होते।
ये इस बात का संकेत है कि अंतरराष्ट्रीय रक्षा सौदे सिर्फ तकनीक या कीमत पर नहीं चलते, बल्कि राजनीतिक समीकरण, भू-रणनीति, और स्थानीय उत्पादन क्षमता भी एक बड़ा रोल निभाते हैं।
भारत के लिए सब कुछ खत्म नहीं
दिलचस्प बात ये है कि ब्राजील ने भारत के दूसरे रक्षा उत्पादों में अब भी रुचि दिखाई है, जैसे:
- Coastal Surveillance Systems – समुद्री सीमा की निगरानी के लिए
- Garud Gun System – भारतीय तोप प्रणाली जो हल्की, तेज़ और कुशल है
- डिफेंस टेक्नोलॉजी ट्रांसफर पर बातचीत अभी जारी है
इसका मतलब यह नहीं कि भारत की रक्षा डिप्लोमेसी फेल हो रही है, बल्कि यह कि भारत को लचीले और स्मार्ट डीलिंग मॉडल अपनाने की जरूरत है, जिसमें “केवल उत्पाद” नहीं, “पूरा समाधान” बेचा जाए।
क्या भारत को अपनी रणनीति बदलनी चाहिए?
हां — और यह बदलाव सिर्फ डिफेंस डिपार्टमेंट तक सीमित नहीं होना चाहिए। अब वक्त आ गया है कि भारत डिफेंस डिप्लोमेसी को तकनीक+ट्रस्ट+ट्रेनिंग के फॉर्मूले में तब्दील करे।
Akash Missile System तकनीकी रूप से सक्षम है, लेकिन अगर उसमें साझेदारी, लोकल मैन्युफैक्चरिंग और रणनीतिक फॉलो-अप शामिल कर दिए जाएं — तो अगली बार ब्राजील ही नहीं, यूरोप और अफ्रीका के देश भी कतार में होंगे।
निष्कर्ष: ‘आकाश’ गिरा नहीं है, बस कुछ ऊँचाई और चाहिए
भारत की आकाश मिसाइल डील पर लगे इस ब्रेक को नाकामी नहीं, एक सबक के तौर पर देखा जाना चाहिए। इससे भारत को यह सीख मिली है कि वैश्विक रक्षा बाज़ार में अब केवल “मेड इन इंडिया” से बात नहीं बनेगी — बात तब बनेगी जब “मेड फॉर द वर्ल्ड” होगा।