भारतीय वायुसेना में राफेल लड़ाकू विमान शामिल होने के बाद देश की हवाई शक्ति में जबरदस्त इजाफा हुआ, लेकिन अब संकेत मिल रहे हैं कि भारत राफेल जेट की संख्या में कटौती कर सकता है। यह फैसला फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट एविएशन के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है, क्योंकि डसॉल्ट ने भारत में फुल-स्केल प्रोडक्शन लाइन लगाने के लिए कम से कम 100 यूनिट के ऑर्डर की शर्त रखी थी। अब सरकार 114 राफेल फाइटर जेट्स की जगह सिर्फ 60 राफेल F4 जेट्स खरीदने पर विचार कर रही है।

क्यों घट रही है राफेल की संख्या?

भारत का उद्देश्य अपनी वायुसेना में 5वीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट को जल्द शामिल करना है। इसके लिए भारत अपने स्वदेशी AMCA प्रोजेक्ट पर भी तेजी से काम कर रहा है, लेकिन जब तक AMCA तैयार नहीं होता, तब तक वायुसेना में फाइटर जेट्स की संख्या बनाए रखने के लिए भारत अंतरिम व्यवस्था कर रहा है। इसके तहत राफेल की संख्या आधी कर, साथ में 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स जैसे F-35 या Su-57 को शामिल करने की योजना बनाई जा रही है।

फ्रांस को क्यों लगेगा बड़ा झटका?

भारत ने पहले 36 राफेल जेट्स की डील सफलतापूर्वक पूरी की थी, जिसके बाद MRFA (मल्टी रोल फाइटर एयरक्राफ्ट) टेंडर के तहत 114 एडवांस फाइटर जेट्स खरीदने की योजना बनाई गई थी। लेकिन अब राफेल की संख्या घटाने से फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट एविएशन के भारत में प्रोडक्शन प्लान पर असर पड़ सकता है। इसके अलावा, भारत सरकार चाहती है कि राफेल जेट्स के कुछ हिस्सों का निर्माण भारत में हो, जिससे ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा दिया जा सके। इस दिशा में टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) को राफेल के फ्यूसेलाज निर्माण का जिम्मा दिया जाना इस बदलाव की पुष्टि करता है।

भारत के सामने विकल्प: F-35 या Su-57?

रूस ने भारत को Su-57 Felon फाइटर जेट ऑफर किया है, जबकि अमेरिका की ओर से F-35 Lightning II का विकल्प खुला हुआ है। हालांकि, F-35 खरीदने में अमेरिका की कई शर्तें शामिल होती हैं, जबकि रूस के Su-57 की टेक्नोलॉजी और उत्पादन क्षमता पर सवाल उठते रहे हैं। भारत इन दोनों विकल्पों पर सावधानी से विचार कर रहा है ताकि वायुसेना को 5वीं पीढ़ी की क्षमता जल्द से जल्द मिल सके।

चीन और पाकिस्तान के सामने भारत की रणनीति

भारत की वायुसेना के पास फिलहाल Su-30MKI, राफेल और तेजस Mk1A जैसे 4वीं और 4.5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स हैं, लेकिन चीन के पास 200 से ज्यादा J-20 स्टील्थ फाइटर जेट्स की तैनाती है और पाकिस्तान भी J-10CE जैसे जेट्स और लंबी दूरी की PL-15 मिसाइलों से अपनी ताकत बढ़ा रहा है। ऐसे में भारत को 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स की जरूरत जल्द से जल्द है ताकि क्षेत्रीय संतुलन बना रहे।

क्या होगा भारत का अगला कदम?

रिपोर्ट्स के मुताबिक रक्षा मंत्रालय अब MRFA प्रोग्राम के तहत 114 फाइटर जेट्स की टेंडर प्रक्रिया को छोड़कर सरकार-से-सरकार समझौते के जरिए जेट्स खरीदने पर विचार कर रहा है। इससे प्रक्रिया तेज होगी और भारतीय वायुसेना की जरूरत समय पर पूरी हो सकेगी। राफेल जेट्स की संख्या में कटौती और 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स के शामिल होने से भारत की हवाई ताकत मजबूत होगी और ‘मेक इन इंडिया’ के तहत रक्षा उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।

भारत का राफेल की संख्या घटाने का फैसला फ्रांस के लिए एक बड़ा झटका जरूर होगा, लेकिन भारत की दीर्घकालिक रणनीति में यह कदम 5वीं पीढ़ी की क्षमताओं को समय पर हासिल करने और स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए जरूरी साबित हो सकता है। अब देखना यह होगा कि भारत F-35, Su-57 या किसी अन्य विकल्प को कितनी जल्दी अंतिम रूप देता है।

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